December 15, 2024

file photo

New Delhi: केन्द्रीय गृह एव सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देशभर में 1 जुलाई से लागू हुए 3 नए आपराधिक कानूनों को दंड की जगह न्याय देने वाला और पीड़ित-केन्द्रित बताया। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में दंड की जगह न्याय को प्राथमिकता मिलेगी, देरी की जगह स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा और पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी। नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के बारे में कई प्रकार की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य जनता के मन में इन कानूनों के बारे में भ्रम पैदा करना है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों को हर पहलू पर 4 वर्षों तक विस्तार से अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा करके लाया गया है और आजादी के बाद से अब तक किसी भी कानून पर इतनी लंबी चर्चा नहीं हुई है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के 77 साल बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली आज पूर्णतया स्वदेशी हो रही है और यह तीन नए कानून आज से देश के हर पुलिस थाने में लागू हो जाएंगे। श्री शाह ने कहा कि इन कानूनों के आधार में दंड की जगह न्याय, देरी की जगह त्वरित ट्रायल और त्वरित न्याय को रखा गया है। इसके साथ ही पहले के कानूनों में सिर्फ पुलिस के अधिकारों की रक्षा की गई थी लेकिन इन नए कानूनों में अब पीड़ितों और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी रक्षा करने का प्रावधान है।

अमित शाह ने कहा कि कल मध्यरात्रि से देशभर में प्रभाव में आए इन तीन नए कानूनों के लागू होने से हमारे देश की पूरी आपराधिक न्याय प्रणाली में भारतीय आत्मा दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिनसे देश के नागरिकों को कई प्रकार के फायदे होंगे। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में अंग्रेजों के समय विवाद में रहे कई प्रावधानों को हटाकर आज के समय के अनुकूल धाराएं जोड़ी गई हैं।

नए कानूनों को हर पहलू पर 4 वर्षों तक विस्तार से अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा करके लाया गया है, आजादी के बाद से अब तक किसी भी कानून पर इतनी लंबी चर्चा नहीं हुई है।

नए कानूनों में सबसे पहली प्राथमिकता महिलाओं व बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को दी गई है। बच्चों व महिलाओं के प्रति अपराध पर नया अध्याय जोड़कर इसे और भी संवेदनशील बनाया गया है।

तीनों नए कानून पूरी तरह से लागू होने के बाद सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेंगे।

तीनों नए कानूनों में तकनीक को न केवल अपनाया गया है, बल्कि इस तरह का प्रावधान भी किया गया है कि अगले 50 सालों में आने वाली सभी तकनीकें इसमें समाहित हो सके।

तीनों कानून देश की 8वीं अनुसूची की सभी भाषाओं में उपलब्ध होंगे और केस भी उन्हीं भाषाओं में चलेंगे।

नए कानूनों में आज के समय के हिसाब से धाराएँ जोड़ी गयी हैं और कई ऐसी धाराएँ हटाई भी गयी हैं, जिससे देशवासियों को परेशानी थी।

नए कानूनों में दंड की जगह न्याय को प्राथमिकता मिलेगी, देरी की जगह स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा और पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी।

नए कानूनों में सभी प्रक्रियाओं के पूरा होने की समयसीमा भी तय की गई है, पूरी तरह लागू होने के बाद तारीख पर तारीख से निजात मिलेगी।

किसी भी मामले में FIR दर्ज होने से सुप्रीम कोर्ट तक 3 साल में न्याय मिल सकेगा।

नए कानूनों में अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह का कानून जड़ से समाप्त कर दिया गया है।

कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि नए कानूनों में रिमांड का समय बढ़ गया है, पर सच यह है कि नए कानूनों के तहत भी रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिनों का ही है।

नए कानूनों में 7 साल या उससे अधिक की सज़ा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है, इससे न्याय जल्दी मिलेगा और दोष-सिद्धि दर को 90% तक ले जाने में सहायक होगा।

नए कानूनों पर लगभग 22.5 लाख पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग के लिए 12000 मास्टर ट्रेनर्स के लक्ष्य से कहीं अधिक 23 हजार से ज्यादा मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षित।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Don`t copy text!