नवरात्रि के नौ दिनों में घटस्थापना के उपरांत सभी तिथियों का अपना विशेष महत्त्व होता है। नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी तिथि पड़ती है। इस तिथि को सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कालरात्रि दुष्टों-दानवों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं। मां की सातवीं स्वरूप कालरात्रि तीन नेत्र धारण करनेवाली वाली देवी हैं। ऐसा माना जाता है कि भक्त जादू-टोना, भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु ,रोग-शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियों को अपने से दूर करने के लिए माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं।
माँ कालरात्रि स्वरुप:
शास्त्रों के अनुसार माँ का कालरात्रि स्वरुप दैत्य शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज को मारने के लिए लेना पड़ा था। मां के इस स्वरुप में तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल हैं। मां के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग, दूसरे हाथ में भी दूसरे प्रकार का अस्त्र, तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा में है।
मंत्र:
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
इस तरह शारदीय नवरात्री के सप्तमी तिथि को लोग माँ के कालरात्रि स्वरुप की पूजा करते है।