New Delhi: सफेद वर्दी में महिलाएं और पुरुष भारतीय नौसेना के ‘शिप फर्स्ट’ दृष्टिकोण के केंद्र में हैं और निकट भविष्य में भी इसकी सबसे बड़ी परिसंपत्ति बने रहेंगे। अपने पेशेवर और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में, भारतीय नौसेना मानती है कि एक चुस्त, अनुकूल और उन्नत मानव संसाधन प्रबंधन अनिवार्य है। इस संबंध में, भारतीय नौसेना ने विभिन्न पदोन्नति बोर्डों के लिए ‘360 डिग्री मूल्यांकन प्रणाली‘ की एक नई परिवर्तनकारी पहल को संस्थागत रूप दिया है।
वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा आवधिक गोपनीय रिपोर्टों के वर्तमान मूल्यांकन तंत्र में ‘टॉप-डाउन’ दृष्टिकोण की अंतर्निहित सीमा है, क्योंकि यह अधीनस्थों पर किसी अग्रणी के प्रभाव को पूरा या निर्धारित नहीं करता है। भारतीय नौसेना के ‘360 डिग्री मूल्यांकन प्रणाली’ का उद्देश्य पदोन्नति के लिए विचार किए जा रहे प्रत्येक अधिकारी के लिए उपयुक्त रूप से चिन्हित सहयोगियों और अधीनस्थों से व्यापक स्तर पर सर्वेक्षण को शामिल करके इस कमी को दूर करना है। सर्वेक्षण में कई प्रकार के सवाल पूछे जाते हैं, जिसमें व्यवसायिक ज्ञान, नेतृत्व की विशेषताएं, युद्ध/संकट में उपयुक्तता और उच्च पद धारण करने की क्षमता जैसे पहलू शामिल होते हैं। इस प्रकार प्राप्त इनपुट को फ्लैग ऑफिसर की अध्यक्षता में नामित अधिकारियों के बोर्ड द्वारा स्वतंत्र विश्लेषण के लिए उपयुक्त रूप से निर्धारित किया जाता है। यह अधिकारियों को व्यवहार परिवर्तन और सुधार को प्रभावित करने के लिए फीडबैक के रूप में भी प्रदान किया जाएगा।
इसी तरह की मूल्यांकन प्रणाली विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संगठनों में प्रचलन में है। भारतीय नौसेना इस तरह की ‘सर्वोत्तम प्रथाओं’ को आत्मसात करने में गर्व महसूस करती है और यह पहल ‘युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के लिए एक अभेद्य बल बने रहने की दिशा में अन्य प्रयासों की निरंतरता में है।