नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल से चलनेवाले वाहन जो BS-6 उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करते हैं ऐसे वाहनों में सरकार ने सीएनजी और एलपीजी किट के रेट्रो-फिटमेंट की परमिशन दे दी है। वर्तमान में रेट्रो-फिटमेंट परिवर्तन की इजाजत केवल BS-4 उत्सर्जन मानदंडों वाले वाहनों पर लागु था।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक अधिसूचना जारी किया है। जिसके तहत बीएस (भारत स्टेज)- 6 पेट्रोल वाहनों पर सीएनजी और एलपीजी किट के रेट्रोफिटमेंट वाहन के मामले में डीजल इंजन को सीएनजी या एलपीजी इंजन के साथ रिप्लेसमेन्ट की अनुमति मिल गयी है। जारी किये गए अधिसूचना में रेट्रोफिटमेंट किट के लिए व्हीकल टाइप अप्रूवल को आवश्यक किया गया है।
सरकार का कहना है कि सीएनजी गैस पर्यावरण के लिए बेहतर ईंधन है जो पेट्रोल और डीजल से चलनेवाले वाहनों से होनेवाले प्रदुषण को कम करने में कारगर होगा। वहीं दूसरी तरफ CNG पेट्रोल और डीजल जैसे फॉसिल फ्यूल से सस्ती भी है, जो पर्यावरण के साथ साथ लोगों के जेब के लिए भी अनुकूल होगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जी.एस.आर. 625(E) दिनांक 11 अगस्त, 2022 के माध्यम से BS (भारत स्टेज)-VI गैसोलीन वाहनों में सीएनजी और एलपीजी किट के रेट्रोफिटमेंट के बारे में और बीएस-VI वाहनों के मामले में, जो 3.5 टन से कम हैं, डीजल इंजनों को सीएनजी/एलपीजी इंजन के साथ बदलने के बारे में अधिसूचना जारी की है।
इस समय बीएस IV उत्सर्जन मानदंडों का पालन करने वाले मोटर वाहनों में सीएनजी और एलपीजी किट के रेट्रोफिटमेंट की अनुमति है।
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किसी भी खतरनाक या जोखिमभरे सामान को ले जाने वाले वाहन के लिए वाहन अवस्थिति निगरानी उपकरण के बारे में अधिसूचना
दूसरी तरफ सरकार ने खतरनाक या जोखिमभरे सामानों को लेजानेवाले वाहनों में लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाने को लेकर भी अधिसूचना जारी किया है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ध्यान में यह लाया गया है कि वाहन, जो राष्ट्रीय परमिट के दायरे में नहीं हैं तथा विभिन्न गैसों जैसे आर्गन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन आदि एवं खतरनाक या जोखिमभरे सामानों को ले जाते हैं, में वाहन अवस्थिति निगरानी उपकरण (लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस) मौजूद नहीं होते हैं।
तदनुसार, मंत्रालय ने जी.एस.आर 617(E) दिनांक 3 अगस्त, 2022 के माध्यम से यह अनिवार्य किया है कि एन2 और एन3 श्रेणियों के प्रत्येक वाहन, जिनका निर्माण नए मॉडलों के सन्दर्भ में 1 सितंबर, 2022 को या इसके बाद होगा तथा मौजूदा मॉडलों के मामले में 1 जनवरी, 2023 को या इसके बाद होगा और जो खतरनाक या जोखिमभरे सामान का परिवहन करते हैं; में एआईएस 140 के अनुसार एक वाहन अवस्थिति निगरानी उपकरण (लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस) लगाया जाएगा।