New Delhi: ISRO या भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने शुक्रवार 14 जुलाई को आँध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हेवीलिफ्ट LVM3-M4 रॉकेट से अपना तीसरा चंद्र मिशन – चंद्रयान 3 लॉन्च किया। fat boy के नाम से जाना जानेवाला साढ़े छे सौ टन वजन वाला LVM3-M4 रॉकेट, जो अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है, यह पूर्वनिर्धारित समय दिन के लगभग ढाई बजे शानदार ढंग से उड़ान भरी। चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचने में करीब ढाई महीने लगेंगे। यान प्रक्षेपण के ठीक 16 मिनट बाद लगभग पौने तीन बजे करीब 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 रॉकेट से अलग हो गया। इस तरह चंद्रयान-3 ने लगभग 3.84 लाख कि.मी की लंबी चंद्रमा की यात्रा शुरू की।
LVM3 रॉकेट ने चंद्रयान-3 को जिस ऑर्बिट में छोड़ा है वह 36,500X170 किलोमीटर वाली ओवल शेप्ड जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) है। जबकि चंद्रयान-2 को 45,575 किलोमीटर वाली ऑर्बिट में छोड़ा गया था। वैज्ञानिक इसके पीछे की वजह चंद्रयान-३ को ज्यादा स्थिरता प्रदान करना बताते हैं।
चन्द्रमा के कक्षा में प्रवेश करने से पहले चंद्रयान पृथ्वी का लगभग पांच चक्कर लगाएगा, जिसमे हर चक्कर पहले चक्कर से बड़ा होगा। इसके बाद चंद्रयान-३ को ट्रांस लूनर इंसर्शन या TLI कमांड दिया जायेगा। फिर यह चंद्रयान सोलर ऑर्बिट जिसे लॉन्ग हाईवे भी जाता है की जर्नी शुरू करेगा। कुछ दिनों की जर्नी के बाद चंद्रयान-३ चंद्र की ओर उसकी आउटर ऑर्बिट में प्रवेश कर जायेगा।
हजारों किलोमीटर लम्बी चंद्र की आउटर ऑर्बिट की परिक्रमा पूरा करने के बाद चंद्रयान -३ या प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अलग हो जाएंगे. फिर इसे 100 किलोमीटर X 30 किलोमीटर की ओवल ऑर्बिट में लाया जाएगा. इसके बाद इसे डेबूस्ट कर रफ्तार काम किया जाएग। फिर धीरे-धीरे इसे चन्द्रमा की सतह पर लैंड कराया जायेगा।
इसबार विक्रम लैंडर को नए सोलर पैनल और नए सेंसर्स फीचर के साथ ज्यादा अधुनिक बनाया गया है, जो पहले से ज्यादा बेहतर है, अत्यधुनिक इंजन के साथ है, जिसे सफलतापूर्वक लैंड करने में आसानी होगी। यह लैंडर उतरने के लिए बेहतर जगह का चयन भी खुद करेगा। जिसमे गलतियां करने की गुंजाईश नहीं के बराबर होगी। इस तरह चंद्र मिशन के विक्रम लैंडर लगभग सवा महीने की यात्रा कर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की योजना सफल होगी।
चंद्र जिसे धरती का इकलौता नेचुरल सैटेलाइट भी कहते हैं, भारत लगभग चार साल बाद एक बार फिर इस सेटेलाइट चंद्र पर चंद्रयान पहुंचाने के लिए तैयार है। चंद्रयान की इस यात्रा पर केवल देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें हैं। इसरो का चांद पर यान को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत चुनिंदा देशों की एलीट लिस्ट में शामिल हो जाएगा।
आज का चंद्र अभियान 2019 चंद्रयान-2 मिशन से एडवांस है जहां अंतरिक्ष वैज्ञानिक चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का लक्ष्य बना रहे हैं। एक सफल मिशन भारत को ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले देशों के एक विशिष्ट क्लब में प्रवेश कराएगा, जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका, चाइना और पूर्व सोवियत संघ शामिल होंगे।