
New Delhi: भारत में हाल के वर्षों में, डिजिटल लेनदेन में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी गई है, जो नकदी रहित समाज बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति में यूपीआई सबसे आगे है, जिसके माध्यम से दिसंबर 2024 में 16.73 अरब लेनदेन का रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) और एनईटीसी फास्टैग प्रमुख मंच के रूप में उभर कर सामने आए हैं, जो वित्तीय लेनदेन को अधिक तेज, ज्यादा सुलभ और सुरक्षित बनाते हैं।
एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) एक ऐसी प्रणाली है, जो एकाधिक बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लीकेशन (किसी भी सहभागी बैंक का) में जोड़ती है, और कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग तथा व्यापारिक भुगतानों को एक ही स्थान पर समाहित कर देती है। इसने न केवल वित्तीय लेनदेन को तीव्र, सुरक्षित और सरल बना दिया है, बल्कि व्यक्तियों, छोटे व्यवसायों तथा व्यापारियों को सशक्त भी बनाया है, जिससे देश नकदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हुआ है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई ने 16.73 अरब से अधिक लेनदेन पूरा करके एक नया रिकॉर्ड बनाया है, जिनके माध्यम से 23.25 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। यह नवंबर के 21.55 लाख करोड़ रुपये की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। यूपीआई ने नवंबर 2024 में लगभग 172 बिलियन लेनदेन पूरे किए, जो 2023 में 117.64 अरब से 46% की बढ़त दिखाता है। यह वृद्धि वित्तीय समावेशन की ओर व्यापक सांस्कृतिक बदलाव को रेखांकित करती है, जिसमें यूपीआई एक केंद्रीय स्तंभ है।