New Delhi: केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में ‘केन्द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए कहा कि मेक्रो इकनामिक फ्रेमवर्क स्टेटमेंट और मीडियम टर्म फिस्कल पॉलिसी कम फिस्कल पॉलिसी स्ट्रेटजी स्टेटमेंट भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य वित्तीय सूचकों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। यह अनिश्चित वैश्विक अर्थव्यवस्था के संबंध में प्रमुख बिन्दुओं के रूप में देखा जा रहा है। सरकार राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक लाने में सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य से निरंतर कार्य करेगी। इसके अलावा सरकार सतत विकास के साथ ही लोगों के कल्याण और आर्थिक वृद्धि में ऋण तथा सकल घरेलू उत्पाद के बीच समन्वय बनाने का प्रयास करते हुए लक्ष्य प्राप्त करने में ध्यान केन्द्रित करेगी।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वास्तविक दर 8.2 प्रतिशत और नॉमिनल वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत रही। वित्त 2023-24 में प्राईवेट कंजम्प्शन एक्सपेंडीचर में 4.0 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। ऐसा शहरी और ग्रामीण मांग में परिवर्तित हुई विभिन्न लाभप्रद स्थितियों के कारण संभव हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि दर के 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इसके साथ ही सामान्य दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से कृषि क्षेत्र में सकारात्मक माहौल देखा गया है, जिसका आर्थिक असर नजर आ रहा है। बैंकों की बैलेंस शीट, कार्पोरेट क्षेत्र का सशक्तिकरण और सरकार द्वारा लगातार अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिये जाने से सतत विकास, उच्च क्षमता उपभोग तथा व्यवसायिक अवसर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं।
औसत खुदरा मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2022-23 में 6.7 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 प्रतिशत पर आ गई है। शीर्ष पर महंगाई जून 2024 में 5.1 प्रतिशत थी, जो कोर मुद्रास्फीति की दर से 3.1 प्रतिशत नीचे है। सर्वांगीण रूप से मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में देखी गई है।
वर्ष 2024-25 के लिए, उधारियों को छोड़कर कुल प्राप्तियां तथा कुल व्यय क्रमशः 32.07 लाख करोड़ रुपए और 48.21 लाख करोड़ रुपए अनुमानित हैं। सकल कर प्राप्तियां 25.83 लाख करोड़ रुपए अनुमानित हैं। राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पूंजीगत व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत यानि 11,11,111 करोड़ रुपए रहा। इसमें राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए 1,50,000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता शामिल है। बजटीय पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2019-20 के पूंजीगत व्यय का 3.3 गुणा है और 2024-25 के बजटीय अनुमान में कुल परिव्यय का 23 प्रतिशत है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “वर्ष 2021 में, मेरे द्वारा घोषित राजकोषीय समेकन उपाय से हमारी अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है और हमारा लक्ष्य अगले वर्ष घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना है।”उन्होंने कहा कि सरकार इस राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। श्रीमती सीतारमण ने कहा, “वर्ष 2026-27 से, हमारा प्रयास प्रति वर्ष राजकोषीय घाटे को इस प्रकार रखना है कि केंद्र सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में लगातार कम होता रहे।”
लेखा महा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा प्रकाशित 3 अस्थाई वास्तविक (पीए) के अनुसार केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.6 प्रतिशत हो गया है। इसके अलावा वर्ष 2023-24 में राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 2.6 प्रतिशत कम हुआ है।