New Delhi: यूनिसेफ के वैश्विक स्तर के सीखने-से-कमाई संबंधी कदम, ‘पासपोर्ट टू अर्निंग’ (पी2ई) ने भारत में एक मिलियन से अधिक युवाओं को वित्तीय साक्षरता और डिजिटल उत्पादकता के क्षेत्रों में कुशल बनाया और प्रमाणित किया है। यह उपलब्धि युवाओं को भविष्य के काम और जीवन के लिए प्रासंगिक कौशल हासिल करने में मदद करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। विशेष रूप से, भारत में पी2ई पाठ्यक्रमों से लाभान्वित होने वाले सभी युवा शिक्षार्थियों में से 62 प्रतिशत किशोरियां एवं युवतियां हैं।
भारत में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप, पी2ई पहल डिजिटल उत्पादकता, वित्तीय साक्षरता, रोजगार हेतु योग्यता संबंधी कौशल और नौकरी के लिए तैयार कौशल से संबंधित प्रमाणन (सर्टिफिकेट) पाठ्यक्रमों तक निशुल्क पहुंच प्रदान करती है। पी2ई समाधान ऑनलाइन, हाइब्रिड एवं ऑफलाइन शिक्षण मॉडल का भी प्रावधान करता है।
इस डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म का लक्ष्य 2024 तक भारत में 14-29 वर्ष के आयु वर्ग के पांच मिलियन युवाओं को दीर्घकालिक टिकाऊ कौशल प्रदान करना और फिर उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए नौकरी, स्वरोजगार और उद्यमिता के अवसरों से जोड़ना है।
शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर यूनिसेफ द्वारा अपने ‘पासपोर्ट टू अर्निंग’ (पी2ई) कार्यक्रम के तहत एक मिलियन प्रमाणन की उपलब्धि हासिल करने के उपलक्ष्य में आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी; युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय (एमओवाईएएस) के युवा कार्यक्रम विभाग के संयुक्त सचिव नितेश कुमार मिश्र; और भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मैक्कैफ्री भी उपस्थित थीं।