New Delhi: अयोध्या का राम मंदिर की भव्यता और सुंदरता की चर्चा जोरों पर है। साथ ही जोरो पर है 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर परिसर की नई तस्वीरों में मंदिर के बाहर की भव्यता दिख रही है। इन तस्वीरों में मंदिर के अंदर का खूबसूरत हिस्सा भी दिख रहा है। मंदिर के खंभों से लेकर हर हिस्से में की गई खूबसूरत नक्काशी उत्कृष्ट है।
राम मंदिर तीन मंजिला है जिसे पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है। मंदिर में कहीं भी लोहे का उपयोग नहीं किया गया है। मुख्य गर्भगृह में भगवान् श्रीराम लला की प्रतिमा विराजमान है और पहली मंजिल पर भगवान् श्री राम दरबार है। जिसकी लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। मंदिर तीन मंजिला है, जिसकी प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है। इसमें कुल 392 खंभे हैं। 44 दरवाजे हैं। मुख्य गर्भगृह में भगवान श्रीराम का बचपन का स्वरूप भगवान् श्री राम लला की मूर्ति है, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, भगवान् श्री राम मंदिर में 5 मंडप होंगे। इसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना और कीर्तन मंडप।
श्रद्धालु 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। मंदिर के चारों तरफ आयताकार परकोटा रहेगा। मंदिर में दिव्यांग और बुजुर्ग तीर्थयात्री के लिए भी विशेष सुविधाएं हैं। रैंप और लिफ्ट भी हैं। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट है। श्री राम मंदिर परिसर के चारों कोनों पर चार मंदिर होंगे, इनमें भगवान् सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को समर्पित होंगे। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा का मंदिर, जबकि दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है।मंदिर के निकट ही एक सीता कूप है, यह ऐतिहासिक कुआं प्राचीन काल का है। इसके अलावा, 25,000 लोगों की क्षमता वाला एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र (PFC) का निर्माण किया जा रहा है। यह तीर्थयात्रियों के लिए चिकित्सा सुविधाएं और लॉकर सुविधा प्रदान करेगा। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि अगस्त्य, महर्षि विश्वामित्र, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या की पूज्य पत्नी को समर्पित रहेंगे। राम मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में कुबेर टीला पर जटायु की स्थापना के साथ-साथ भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है।
नागर शैली में निर्मित इस भव्य श्री राम मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट आरसीसी की मोटी परत से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है। मंदिर को जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का इस्तेमाल कर 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है।भगवान् के इस मंदिर परिसर में एक सीवेज उपचार संयंत्र, जल उपचार संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और एक स्वतंत्र बिजली स्टेशन है। परिसर में स्नान क्षेत्र, वॉशरूम, वॉशबेसिन, खुले नल आदि के साथ एक अलग ब्लॉक भी होगा। मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारत की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके किया जा रहा है। इसका निर्माण पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए किया जा रहा है और 70 एकड़ क्षेत्र के 70% हिस्से को हरा-भरा रखा गया है।
राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान श्रीराम की प्रतिमा को श्रद्धालु 25 फीट दूर से निहार सकेंगे। साथ ही गर्भ-गृह के दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी हैं। कुल 67 एकड़ भूमि में से 2 एकड़ में बननेवाला यह भव्य प्रभु श्री रामलला मंदिर, लगभग एक लाख साल तक अपनी भव्यता का अहसास कराएगा।