December 15, 2024

एक ऐतिहासिक कदम के रूप में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आयुष्मान भारत- पीएमजेएवाई के तहत एनएचए व सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के बीच किए गए नए समझौते के अधीन समग्र स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त होंगी

नई दिल्ली: आज एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। इसके तहत आयुष्मान भारत- पीएमजेएवाई के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एक समावेशी व समग्र स्वास्थ्य पैकेज प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) व सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के सीईओ डॉ. आर एस शर्मा व सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव श्री आर सुब्रमण्यम ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया व केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार उपस्थित थे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इसे एक काफी महत्वपूर्ण दिन बताया। उन्होंने इसे देश में अपनी तरह का पहला समझौता बताया, जो एबी-पीएमजेएवाई के तहत स्वास्थ्य सेवाओं के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए उचित और सम्मानजनक स्थान सुनिश्चित करने को प्रोत्साहन देगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इस समझौता ज्ञापन ने समाज में एक ऐतिहासिक परिवर्तनकारी सुधार की नींव रखी है। यह कदम ट्रांसजेंडर समुदाय को विशेष स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, जो वंचित समुदाय के लिए समानता सुनिश्चित करने से आगे की पहल है।” उन्होंने इसका उल्लेख किया कि ट्रांसजेंडर समुदाय को कलंक और बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। डॉ. मांडविया ने जोर देकर कहा कि एबी-पीएमजेएवाई के तहत स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान समावेशी समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सुदृढ़ कदम है। उन्होंने कहा, “इसे देखते हुए यह उपयुक्त है कि आज डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने देश के सभी समूहों में समानता के साथ एक समावेशी समाज के लिए वकालत की थी।”

उन्होंने अंत्योदय को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की प्रतिबद्धता और समर्पण को दोहराया, जहां सेवाओं के वितरण की श्रृंखला में अंतिम व्यक्ति को सरकार के निर्णयों व कार्यों का लाभ मिलता है। डॉ. मांडविया ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को मान्यता देने के लिए एक निर्णायक तरीके से काम कर रही है, बल्कि उनके कल्याण के लिए कई तरह के व्यवस्थित कदम उठाए हैं। उन्होंने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कई पहल करने के लिए बधाई दी। इनमें “ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019”, गरिमा गृह, प्रधानमंत्री दक्ष कार्यक्रम और हाल ही में की गई अन्य योजनाएं/पहल शामिल हैं। डॉ. मांडविया ने माननीय प्रधानमंत्री के “नए भारत” की सोच के तहत एक समावेशी समाज की दिशा में सरकार के प्रयासों में समाज के सभी वर्गों के साथ आने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि “सरकार और समाज” के सहयोग से “वंचित समुदाय” गरिमा व आत्मनिर्भरता के साथ प्रगति कर सकते हैं।

डॉ. मांडविया ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) व सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई) के बीच आज का समझौता ज्ञापन पूरे देश में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल द्वारा जारी एक ट्रांसजेंडर प्रमाण पत्र रखने वाले) को सभी स्वास्थ्य लाभ प्रदान करेगा। एमओएसजेई हर एक ट्रांसजेंडर लाभार्थी को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान देगा। मौजूदा एबी- पीएमजेएवाई पैकेज और ट्रांसजेंडरों के लिए विशिष्ट पैकेज (सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी -एसआरएस और उपचार) सहित ट्रांसजेंडर श्रेणी के लिए एक व्यापक पैकेज मास्टर तैयार किया जा रहा है। वे देशभर में एबी- पीएमजेएवाई के पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल में इलाज कराने के पात्र होंगे, जहां विशिष्ट पैकेज उपलब्ध हैं। यह योजना सभी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कवर करेगी, जो अन्य केंद्र/राज्य प्रायोजित योजनाओं से इस तरह के लाभ प्राप्त नहीं कर रहे हैं।

वहीं, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इस परिवर्तन को लागू करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ देश में रूपांतरणकारी बदलाव हो रहा है। उन्होंने पांच आश्वासनों- शिक्षा, सम्मान के साथ जीवन, स्वास्थ्य सहायता, आजीविका के अवसर और कौशल उन्नयन के पैकेज को लागू करने के लिए एमओएसजेई की ओर से उठाए गए कई कदमों का उल्लेख किया। डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि ये कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं कि हाशिए और वंचित समूह को सम्मानजनक जीवन और आजीविका प्राप्‍त हो, जिससे वे प्रतिबंधात्मक सामाजिक ढांचों से बाहर निकल सकें।

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